मध्य प्रदेश में 600 से अधिक संजीवनी क्लीनिक खोलने की स्वीकृति,खुला एक भी नहीं
भोपाल (राज्य ब्यूरो)। प्रदेश में दो वर्ष में 611 संजीवनी क्लीनिक खोलने की स्वीकृति केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने पिछले वर्ष अप्रैल में दी थी, पर अभी तक एक भी नहीं खोली जा सकी हैं। अब 26 जनवरी को प्रदेशभर में कम से कम 26 क्लीनिक शुरू करने की तैयारी है। वित्तीय वर्ष के शुरू में कोरोना की तीसरी लहर के चलते देरी हुई।
इसके बाद स्थानीय निकायों की तरफ से क्लीनिक शुरू करने के लिए जगह उपलब्ध नहीं कराई गई। बता दें कि स्थानीय नगरीय निकायों को ही क्लीनिक के लिए भवन की व्यवस्था करनी है। भवन नहीं होने पर किराए का भवन उपलब्ध कराना है। साथ ही नया भवन बनाने के लिए जमीन चिन्हित करनी है। नए भवन के निर्माण के लिए प्रति क्लीनिक 25 लाख रुपये नगरीय विकास एवं आवास विभाग को मिल चुके हैं।
दिल्ली की मोहल्ला क्लीनिक की तर्ज पर प्रदेश में संजीवनी क्लीनिक शुरू की गई है। इनका नाम अब ‘मुख्यमंत्री संजीवनी क्लीनिक’ हो गया है। शहरी बस्तियों में प्रति 25 लाख की आबादी पर एक क्लीनिक खोलने का प्रविधान है। प्रदेश में 2019 से इसकी शुरुआत हुई थी।
पहले वर्ष में इंदौर भोपाल समेत पांच बड़े जिलों में आठ क्लीनिक खोली गई थी। इन्हें मिलाकर अब तक 110 संजीवनी क्लीनिक खुल चुकी हैं। इनके अलावा 62 सिविल डिस्पेंसरी को भी संजीवनी क्लीनिक बना दिया गया है। पहले संजीवनी क्लीनिक और सिविल डिस्पेंसरी का ओपीडी समय अलग-अलग था। बाद में दोनों का सुबह नौ बजे से शाम चार बजे तक कर दिया गया।
संजीवनी क्लीनिक में यह मिलती हैं सुविधाएं
– 230 प्रकार की दवाएं मरीजों को निश्शुल्क दी जाती हैं।
– 45 तरह की जांचें क्लीनिक में ही हो जाती हैं। इनमें लिपिड प्रोफाइल, रीनल फंक्शन टेस्ट, लिवर फंक्शन टेस्ट जैसी बड़ी जांचें भी शामिल हैं।
– पूरा काम पेपरलेस है। मरीजों की पूरी जानकारी टैबलेट में दर्ज की जाती है। मरीज का पूरा ब्योरा इसमें संधारित रहता है।
इनका कहना है
दो वित्तीय वर्ष के भीतर यह क्लीनिक खोली जानी हैं। अगले वर्ष मार्च तक का समय है, पर हम इसी वर्ष लक्ष्य के अनुरूप सभी क्लीनिक शुरू कर देंगे।
डा. प्रभुराम चौधरी, स्वास्थ्य मंत्री